नई दिल्ली : भारत समेत दुनियाभर कृष्ण कन्हैया के भक्त आज भगवान श्रीकृष्ण के भाक्त आज जन्माष्टमी मना रहे हैं। कोरोना संकट के प्रोटोकॉल के बीच पूरा वातावरण कृष्णमय हो गया है। आपको बता दें कि हर साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक इसबार 29 अगस्त को रात के 11.25 बजे से अष्टमी तिथि शुरू हो गई है, जो 30 अगस्त को रात 1.59 तक रहेगी।
वहीं इस बार जन्माष्टमी पर कई दुर्लभ संयोग भी बन रहे हैं। ज्योतिष पंचांग के जानकारों के मुताबिक इस साल ऐसे संयोग बन रहे हैं जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय बने थे, लिहाजा कृष्ण भक्तों के लिए इस बार की जन्माष्टमी बेहद खास हो गई है। इस साल जन्माष्टमी पर भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के साथ वृष राशि और रोहिणी नक्षत्र का भी संयोग बना है। इस साल श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर सर्वार्थसिद्धि योग भी रहेगा।
हिन्दू पंचांग के मुताबिक इस साल जन्माष्टमी के मौके पर सालों के बाद एक ऐसा संयोग बन रहा है जो बेहद ही दुर्लभ है। मान्यता के मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण जी का जन्म भाद्र कृष्ण अष्टमी तिथि, बुधवार, रोहिणी नक्षत्र एवं वृष राशि में मध्य रात्रि को हुआ था। और इस साल भी जन्माष्टमी के मौके पर भी कुछ ऐसा ही दुर्लभ संयोग बनने जा रहे हैं।
शास्त्र के जानकारों के मुताबिक इस साल कृष्ण जन्माष्टमी अवसर पर 6 तत्वों का एक साथ बहुत ही दुर्लभ मिलना हो रहा है। ये 6 तत्व हैं यह भाद्र कृष्ण पक्ष, अर्धरात्रि कालीन अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, वृष राशि में चंद्रमा, इनके साथ सोमवार या बुधवार का होना। इस तरह से भी सारे तत्व 30 अगस्त को मौजूद रहेंगे। सोमवार के दिन अष्टमी होने की वजह से सुबह से ही अष्टमी तिथि व्याप्त रहने वाली है, रात में 12:14 बजे तक अष्टमी तिथि व्याप्त रहेगी। इस रात को नवमी तिथि भी लग रही है। चंद्रमा की स्थिति पर अगर नजर डालें तो यह वृष राशि में मौजूद है। इन सभी संयोग की वजह से इस बार की अष्टमी बहुत ही खास रहने वाली है।
बताया जा रहा है कि बहुत सालों बाद जन्माष्टमी के पावन पर्व पर इस तरह का संयोग बन रहा है। लिहाजा कान्हा के भक्त इस खास मौके को ऐसे ही गवाना नहीं चाहते। शास्त्र को जानकारों के मुताबिक इस तरह के संयोग में व्रत और श्री कृष्ण की आराधना से 3 जन्मों में जाने-अनजाने किए गए पापों से मुक्ति मिलती है। इतना ही नहीं इस व्रत करने से प्रेत योनी में भटक रहे पूर्वजों को भी मुक्ति मिल जाएगी।
लिहाजा भगवान कृष्ण के जन्म पर बने ये दुर्लभ संयोग की वजह से इस साल की जन्माष्टमी में पूजन का विशेष महत्व माना जा रहा है। रोहिणी नक्षत्र का संयोग 30 तारीख को सुबह 6 बजकर 39 मिनट से शुरू होगा और 31 अगस्त को सुबह 9 बजकर 44 मिनट पर खत्म होगा। मान्यता के मुताबिक रोहिणी नक्षत्र में अष्टमी तिथि को बाल गोपाल की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होगा और सभी कष्ट दूर होंगे और सभी मनोकामनाएं पूरी होगी हैं। इतना ही नही रिद्धि- सिद्धि की भी प्राप्ति होगी।
कृष्ण जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि प्रारंभ- 29 अगस्त दिन रविवार को रात 11 बजकर 25 मिनट से
अष्टमी तिथि समाप्त- 30 अगस्त दिन सोमवार को देर रात 01 बजकर 59 मिनट पर होगा।
पूजा का शुभ मुहूर्त- 30 अगस्त को रात 11 बजकर 59 मिनट से देर रात 12 बजकर 44 मिनट तक।
कुल अवधि- 45 मिनट
व्रत पारण मुहूर्त-
31 अगस्त को सुबह 9 बजकर 44 मिनट बाद व्रत का पारण कर सकते हैं।
रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ- 30 अगस्त को सुबह 06 बजकर 39 मिनट से।
रोहिणी नक्षत्र समापन- 31 अगस्त को सुबह 09 बजकर 44 मिनट पर।