Reservation in Promotion: मध्य प्रदेश में 6 साल से बंद पदोन्नति के लिए नए नियम का जो प्रारूप तैयार किया गया है, उससे सामान्य वर्ग को दोहरा नुकसान हो रहा है। यदि आरक्षित वर्ग के पद उपलब्ध न होने पर अनुसूचित जाति-जनजाति और अनारक्षित वर्ग को मिलाकर जो संयुक्त सूची बनेगी, उसमें से पदोन्नति दी जाएगी। जबकि, आरक्षित वर्ग के पदों के लिए यदि लोक सेवक उपलब्ध नहीं होते हैं तो ये पद रिक्त ही रखे जाएंगे। सबसे पहले संयुक्त सूची से अनुसूचित जनजाति और फिर अनुसूचित जाति वर्ग के कर्मचारियों को मिलेगी। इस नियम को सामान्य प्रशासन विभाग जल्द ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के समक्ष प्रस्तुत करेगा और अनुमति मिलते ही कैबिनेट में अंतिम निर्णय के लिए रखा जाएगा।
सूत्रों के अनुसार सामान्य प्रशासन विभाग ने मध्य प्रदेश लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2022 का जो प्रारूप तैयार किया है, उसमें यह प्रविधान किया गया है कि प्रत्येक वर्ष एक जनवरी की स्थिति में आरक्षित वर्ग के प्रतिनिधित्व की स्थिति का आकलन किया जाएगा। अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के लोक सेवाओं की अलग-अलग चयन सूची तैयार की जाएंगी। इसी तरह अनारक्षित वर्ग की सूची बनेगी। तीनों को मिलाकर अंतिम संयुक्त सूची बनाई जाएगी।
इसमें वरिष्ठता क्रम में नाम रखे जाएंगे। इस चयन सूची में सबसे पहले अनुसूचित जनजाति के रिक्त पदों के विरुद्ध उपयुक्त पाए गए कर्मचारियों के नाम योग्यता क्रम में रखे जाएंगे। इनका पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित होने के बाद अनुसूचित जाति वर्ग के कर्मचारियों के नाम आएंगे। इसके बाद शेष कर्मचारियों के नाम संयुक्त सूची में योग्यता के उसी क्रम में रखे जाएंगे, जिससे उनकी पदोन्नति की जानी है।
यदि किसी वर्ष में आरक्षित वर्ग के पद पहले से भरे हुए हैं तो सभी रिक्त पदों को शामिल करते हुए संयुक्त चयन सूची में शामिल कर्मचारियों के नाम योग्यता के क्रम में रखे जाएंगे। आरक्षित वर्ग के लिए पर्याप्त कर्मचारी उपलब्ध न होने पर पद तब तक रिक्त रखे जाएंगे, जब तक संबंधित वर्ग का कर्मचारी न मिल जाए। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि रोस्टर व्यवस्था रहेगी और आरक्षण तय प्रविधान के अनुरूप रहेगा। उल्लेखनीय है कि पदोन्नति पर प्रतिबंध होने से छह साल में 36 हजार से ज्यादा कर्मचारी बिना पदोन्नति के सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
उधर, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज गोरकेला का कहना है कि नए नियम बनाने पर कोई रोक नहीं है लेकिन इसे सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत करना होगा। वहीं, पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता अजय मिश्रा का कहना है कि यथास्थिति बनाए रखने का मतलब यह नहीं है कि नए नियम नहीं बनाए जा सकते हैं। सरकार को नए नियम बनाने का अधिकार है। इसके आधार पर कार्रवाई भी की जा सकती है।
प्रथम श्रेणी के पद पर पदोन्नति के लिए 15 अंक होना अनिवार्य
विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक प्रतिवर्ष होगी और इसमें रिक्तयों के आधार पर चयन सूची तैयार होगी। पांच वर्ष के गोपनीय प्रतिवेदनों के समग्र मूल्यांकन के आधार पर पदोन्नति के लिए अंक निर्धारित होंगे। प्रथम श्रेणी के पद पर पदोन्न्ति के लिए 15 अंक होना आवश्यक होंगे।
पदोन्नति के लिए पात्र सभी अधिकार-कर्मचारी को उनके सेवा अभिलेख के आधार पर उत्कृष्ट, बहुत अच्छा, अच्छा, औसत एवं निम्न स्तर की श्रेणी में रखा जाएगा। प्रत्येक श्रेणी के लिए अंक दिए जाएंगे। उत्कृष्ट के लिए चार, बहुत अच्छा के लिए तीन, अच्छा के लिए दो, औसत के लिए एक और निम्न स्तर के लिए शून्य अंक दिए जांएगे। उत्कृष्ट श्रेणी वाले कर्मचारियों को चयन सूची में सबसे ऊपर रखा जाएगा। एक से अधिक उत्कृष्ट श्रेणी में होने पर वरिष्ठता बनाए रखते हुए चयन सूची में शामिल किया जाएगा।
एक मेरिट और वरिष्ठता के आधार पर होगी पदोन्नति
सभी वर्गों में पदोन्नति एक मेरिट और वरिष्ठता के आधार पर होगी। संयुक्त सूची में योग्यता और वरिष्ठता के आधार पर नाम क्रमवार रखे जाएंगे। इसके आधार पर पद उपलब्ध होने पर चयन सूची में से पदोन्नति होगी।