Same-sex marriage केंद्र ने दिल्ली हाई कोर्ट में एलजीबीटीक्यू जोड़ों की याचिका का विरोध किया है, जिसमें विभिन्न कानूनों के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए याचिकाओं के एक बैच पर कार्यवाही के सीधे प्रसारण (लाइव स्ट्रीमिंग) की मांग की गई है। केंद्र ने कहा कि इन कार्यवाही का सीधा प्रसारण उचित नहीं होगा क्योंकि इसमें तीखे वैचारिक मतभेद जुड़े हैं। केंद्र ने कहा कि हाल के दिनों में ऐसे मामले सामने आए हैं जहां पूरी तरह से लाइव-स्ट्रीम नहीं किए गए मामलों में भी गंभीर अशांति हुई है और सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा न्यायाधीशों के खिलाफ बेतुके और अनावश्यक आरोप लगाए गए हैं।
केंद्र ने अपने ताजा हलफनामे में कहा कि यह सर्वविदित है कि न्यायाधीश वास्तव में सार्वजनिक मंचों पर अपना बचाव नहीं कर सकते हैं और उनके विचार व राय न्यायिक घोषणाओं में व्यक्त की जाती हैं। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ के बुधवार को मामले की सुनवाई करने की संभावना है। इससे पहले, उच्च न्यायालय ने लाइव स्ट्रीमिंग याचिका का विरोध करते हुए केंद्र द्वारा दायर एक हलफनामा दाखिल करने पर नाराजगी जताई थी, क्योंकि उसमें कुछ कथित आपत्तिजनक शब्द थे।
इस तरह की प्रतिक्रियाएं या तो सोशल मीडिया में सामने आ सकती हैं या वर्चुअल मीडिया से शामिल लोगों के असल जीवन में भी प्रवेश कर सकती हैं। यह भी संभावना है कि इस तरह की लाइव स्ट्रीमिंग को संपादित/रूपांतरित किया जा सकता है और इसकी पूरी पवित्रता खो सकती है। अदालती कार्यवाही की गंभीरता, गरिमा को बनाए रखने के लिए विशेष रूप से वर्तमान जैसे मामलों में जिसमें तीखी वैचारिक मतभेद मौजूद हो सकते हैं, कार्यवाही का सीधा प्रसारण न किया जाए।