Sawan Mas 2020: सनातन संस्कृति में मास, तिथि, वार, पल आदि सभी देवी-देवताओं को समर्पित है और इनकी आराधना का प्रावधान धर्मशास्त्रों में किया गया है। ऐसा ही सनातन पंचाग का महीना सावन या श्रावण है। यह मास देवादिदेव महादेव को समर्पित है और इस मास में भगवान शिव की आराधना की जाती है। मान्यता है कि इस मास में भोलेनाथ की आराधना करने से कष्टों का नाश होकर सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
सावन मास का प्रारंभ और समापन
हिंदू पंचाग के अनुसार सावन मास पांचवां महीना होता है। इस साल यह महीना 6 जुलाई सोमवार से प्रारंभ हो रहा है। सावन मास का समापन 3 अगस्त को होगा। उस दिन भी संयोग से सोमवार है। सोमवार को महादेव का प्रिय वार माना जाता है और सावन मास उनको अति प्रिय है इसलिए सावन मास का सोमवार को प्रारंभ और सोमवार को समापन काफी शुभ फलदायी माना जा रहा है।
सावन मास का महत्व
सावन मास भगवान शिव को समर्पित है। मान्यता है कि इन दिनों में भक्तिभाव से शिव आराधना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान जब कालकूट नाम का जहर निकला तो देव और दानव दोनों उससे भयभीत हो गए और कोई भी उसको लेने के लिए तैयार नहीं था। इसके साथ इस विष से चारों और हाहाकार मच गया था। दसों दिशाएं इस विष से जलने लगी थी। देव, दानव, ऋषि-मुनि सभी इसकी गरमी से जलने लगे। इसलिए सभी महादेव के पास गए और उनसे इस सृष्टि को बचाने की प्रार्थना की। भोलेनाथ विष को ग्रहण करने के लिए तैयार हो गए।
शिव को मिली थी जल से शीतलता
जब शिव विष को धारण कर रहे थे उस समय माता पार्वती ने उनके गले को दबाए रखा, जिससे विष का प्रभाव केवल गले में हुआ और शेष शरीर इसके प्रभाव से अछूता रहा। विष के प्रभाव से महादेव का कंठ नीला हो गया। इसलिए उनको ‘नीलकंठ’ कहा जाता है। विष के प्रभाव से महादेव को असहनीय गर्मी को सहन करना पड़ा। कैलाशपति को विष की गर्मी से छुटकारा दिलवाने के लिए इंद्र ने वर्षा करवाई थी। शिव ने सावन के महीने में विषपान किया था। इसलिए इस महीने उत्तम वृष्टि के योग बनते हैं और शिव की गर्मी को शांत करने के लिए भक्त शिवलिंग पर शीतल जल चढ़ाते हैं।