School Reopen in MP प्रदेश के केंद्रीय स्कूल सहित सभी स्कूल एक अप्रैल से खुल रहे हैं। कुछ स्कूल तो खुल भी चुके हैं और बच्चों का पहुंचना शुरू भी हो गया है। अभिभावकों ने भी बस और वैन से बच्चों को भेजने के लिए तैयारी कर ली है।
बीते दिनों सामने आई स्कूली वाहनो से संबंधी दो दुर्घटनाओं से चिंतित होकर मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने एक पत्र एडीजी( पीटीआरआई) को भेजा है। आयोग ने चिंता जताई है कि दो साल बाद स्कूल खुले हैं, ऐसे में बच्चों की सुरक्षा स्कूलों के लिए पहली जिम्मेदारी है। साथ ही आयोग ने कहा है कि स्कूल संचालक स्कूलों में स्वच्छता और सुरक्षा को लेकर जिम्मेदारी तय हो।
स्कूल संचालक पूरी तरह से निगरानी रखें। आयोग के सदस्य ब्रजेश चौहान ने अपने पत्र में लिखकर एक एसओपी गाइडलाइन भी जारी की है और इसका सख्ती से पालन कराने की अनुशंसा अपने पत्र में की है। आयोग ने अपने पत्र में जिला उज्जैन और इंदौर की दो घटनाओं का हवाला दिया है। इसमें से एक में ओवरलोड वैन के पलटने से तीन बच्चों की मृत्यु और 14 बच्चे घायल हुए। वहीं दूसरी घटना में बस पलटने से दो बच्चों की मौत हो गई एवं कई बच्चे घायल हो गए। आयोग ने सुझावों की अनुशंसा कर इस संबंध में दिशा-निर्देश देकर आयोग को अवगत कराने के लिए पत्र में लिखा है।
सप्ताह में दो बार स्कूल बस, वैन या मैजिक एवं अन्य वाहन की जांच सुनिश्चित हो।
– दस्तावेजों की कमी होने पर या लगातार ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने पर ट्रैफिक नियमों के अंतर्गत दंडात्मक कार्रवाई की जाए।
– बसों में सीसीटीवी कैमरे, दो दरवाजे, स्पीड गवर्नर, फर्स्ट एड किट (जो कि एक्सपायर ना हो), अग्निशमन यंत्र एवं फिटनेस सर्टिफिकेट अनिवार्य रूप से होना चाहिए।
– बसों में बच्चों के लिए अटेंडर के निर्देश सभी स्कूलों को दिए जाएं, ताकि बच्चे सुरक्षित महसूस करें।
– बसों के ड्राइवर एवं अटेंडर के दस्तावेजों का संधारण करना स्कूल की जिम्मेदारी होगी। उनका पुलिस वेरिफिकशन करने के निर्देश स्कूलों को दिए जाएं।
– प्राइवेट वाहनों जैसे वैन, मैजिक आटो एवं उनके ड्राइवरों/अटेंडरों का भी पुलिस वेरिफिकेशन कराकर उनके रिकार्ड का संधारण करना स्कूल की जिम्मेदारी है।
– स्कूली वाहन में गैस किट ना हो। वाहनों की नियमित अंतराल पर जांच होनी चाहिए।
– बच्चों को स्कूल के आवागमन के सभी वाहनों में क्षमता से अधिक बच्चे ना बैठें यह सुनिश्चित किया जाएं। स्कूल संचालक इसकी जांच भी कराएं।
– यह भी सुनिश्चित हो कि स्कूलों के सामने जेब्रा क्रासिंग, स्पीड ब्रेकर एवं साइन बोर्ड आदि लगे और ट्रैफिक व्यवस्थाओं व नियमों का पालन हो।
– अभिभावकों द्वारा स्वयं के वाहनों से बच्चों को स्कूल व कोचिंग के आवागमन करने के लिए जिम्मेदारी तय करने के लिए अभिभावकों से स्वघोषणा पत्र भरवाया जाए।