Sedition law पर 1962 के फैसले की दलील दे रहा केंद्र आखिर इस मामले पर फिर से विचार करने को तैयार हो गया है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि वो इस कानून के तमाम प्रावधानों पर फिर से गौर करेगा। केंद्र ने अदालत से अपील की है कि तब तक इस तरह के मामलों पर सुनवाई लंबित रखी जाए। एक बार कोई ठोस निष्कर्स निकल आए तो उसके मुताबिक ही इस तरह के मामलों में एक्शन लिया जाए।
राजद्रोह कानून के दुरुपयोग पर सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल जुलाई में केंद्र सरकार से पूछा था कि वो उस प्रावधान को निरस्त क्यों नहीं कर रही जो पराधीन भारत में अंग्रेजों का हथियार था। तब आजादी के आंदोलन को दबाने के लिए अंग्रेजों ने इसका इस्तेमाल किया था। आईपीसी की धारा 124 ए को कई लोगों ने चुनौती दी है। इन याचिकाओं पर अदालत ने कहा था कि कानून का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।
कोर्ट ने इस मामले में अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल से मदद के लिए कहा था। वेणुगोपाल ने कहा कि राजद्रोह कानून खत्म करने की नहीं बल्कि इस पर दिशा-निर्देशों की जरूरत है। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि कानून के तहत क्या सही और गलत है। इस पर विचार करने की जरूरत है। उधर केंद्र का कहना था कि पीएम मोदी भी मानते हैं कि अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे कानूनों पर व्यापक चर्चा की जरूरत है। वो इन्हें खत्म करने के पक्ष में हैं।