Seeta Nawami: सीता नवमी 21 को, पति की लंबी उम्र के लिए महिलाएं रखेंगी व्रत
सीता नवमी के दिन सुहागिन महिलाएं अपने घर की सुख शांति और अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं।
वैशाख माह शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 21 मई को मां सीता का प्राकट्य हुआ था। इस पर्व को जानकी नवमी के नाम से भी जाना जाता है। नवमी तिथि 20 मई दोपहर 12:25 से प्रारंभ होकर 21 मई सुबह 11:10 बजे तक रहेगी। सीता नवमी के दिन सुहागिन महिलाएं अपने घर की सुख शांति और अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। रामायण के अनुसार एक बार मिथिला राज्य में कई वर्षों से बारिश नहीं हो रही थी। इससे मिथिला नरेश जनक ने ऋषि-मुनियों से विचार-विमर्श किया और मार्गदर्शन मांगा।
ऋषि-मुनियों ने राजा जनक को खेत में हल चलाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि अगर आप ऐसा करते हैं तो इंद्र देवता की कृपा जरूर बरसेगी। राजा जनक ने ऋषि मुनियों के मार्ग दर्शन से वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन खेत में हल चलाया। इसी दौरान उनके हल से कोई वस्तु टकराई, यह देख राजा जनक ने सेवादारों से उस स्थान की खुदाई कारवाई गई।
उस समय खुदाई में उन्हें एक कलश प्राप्त हुआ, जिसमें एक कन्या थी। राजा जनक ने उन्हें अपनी पुत्री मानकर उनका पालन-पोषण किया। तत्कालीन समय में हल को “सीत” कहा जाता था, इसलिए राजा जनक ने उस कन्या का नाम सीता रखा।
सीता नवमी पूजा विधिः सुबह स्नान करने के पश्चात घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। दीप प्रज्वलित करने के बाद व्रत का संकल्प लें। मंदिर में देवताओं को स्नान करवाएं। अगर घर में गंगा जल है तो, देवताओं को स्नान वाले जल में गंगा जल मिलाएं भगवान राम और माता सीता का ध्यान करें। शाम को माता सीता की आरती के साथ व्रत खोलें। भगवान राम और माता सीता को भोग लगाएं। महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए इस व्रत काे करती हैं।