बिंदुवासिनी के नाम से भी जाना जाता है विंध्यवासिनी मां को
अनादिकाल से भक्तों के आस्था का केंद्र बने विंध्य पर्वत और पतित पावनी मां गंगा के संगम तट पर श्रीयंत्र पर विराजमान मां विंध्यवासिनी का प्रथम दिन शैलपुत्री के रूप में पूजन और अर्चन किया जाता है। शैल का अर्थ पहाड़ होता है। कथाओं के अनुसार, माता पार्वती पहाड़ों के राजा हिमालय की पुत्री थी। पर्वत राज हिमालय की पुत्री को शैलपुत्री भी कहा जाता है, उनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल का फूल है। भारत के मानक समय के लिए बिंदु के रूप में स्थापित विंध्य क्षेत्र में मां को बिन्दुवासिनी अर्थात विंध्यवासिनी के नाम से भक्तों के कष्ट को दूर करने वाला माना जाता है।
माता के दर्शन के लिए विदेशों से आते हैं भक्त
डीएम और एसपी ने व्यवस्थाओं का लिया जायजा
मिर्जापुर डीएम दिव्या मित्तल और एसपी संतोष कुमार मिश्रा ने मां विंध्यवासिनी के दरबार में आने वाले भक्तों के लिए परेशानी न हो, इसके लिए खुद जमीन पर उतर कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया।
एसपी ने लोगों को दी हिदायत
एसपी ने स्वयं भक्तों को दर्शन पूजन कराया। यही नहीं गंगा घाट पर जाकर लोगों को लाऊड हेलर के माध्यम से गहरे पानी में स्नान न करने को लेकर हिदायत दी। एसपी ने कहा कि बैरीकेडिंग के अंदर रहकर आप सभी स्नान करें। नगर विधायक रत्नाकर मिश्रा भी श्रद्धालुओं से वार्ता करते हुए दिखाई दिए।