हमने अक्सर देखा है कि लोग गुस्से में जोर-जोर से चिल्लाने लगते हैं। चाहे बिल्कुल पास ही खड़े हों, लेकिन आवाज ऊंची हो जाती है। झगड़ा और गुस्सा जितना ज्यादा होता है, आवाज भी उतनी ऊंची निकलती है। क्या कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्यों है? इसका जवाब एक प्राचीन कथा में छुपा में है। उस कहानी में एक संत ने अपने शिष्यों को बड़े ही सहज अंदाज में इसका पाठ पढ़ा दिया। आप भी पढ़ें वह कहानी –
एक आश्रम में संत अपने शिष्यों को पढ़ाते थे। एक दिन उन्होंने शिष्यों से पूछा कि जब दो लोग झगड़ते हैं और एक-दूसरे पर गुस्सा होते हैं तो जोर-जोर से चिल्लाते क्यों हैं? पहले तो शिष्यों को जवाब समझ नहीं आया। बड़े सोच-विचार के बाद एक शिष्य खड़ा हुआ और बोला- दोनों लोग अपनी शांति खो चुके होते हैं, इसलिए चिल्लाते हैं।
संत ने उसे बैठने को कहा और दूसरे शिष्यों से जवाब मांगा। कुछ और शिष्यों ने अपने-अपने हिसाब से जवाब दिए, लेकिन संत संतुष्ट नहीं हुए। इसके बाद उन्होंने स्वयं उत्तर दिया। बोले – जब दो लोग एक दूसरे से गुस्सा होते हैं तो उनके दिलों में दूरियां बहुत बढ़ जाती हैं। जब दिलों की दूरियां बढ़ जाएं तो आवाज को वहां तक पहुंचाने के लिए उसका तेज होना जरूरी है। दूरियां जितनी ज्यादा होंगी, उतनी तेज चिल्लाना पड़ेगा।
संत ने यह भी कहा कि इसके ठीक उल्ट जब दो लोगों में प्रेम होता है तो उन्हें ऊंची आवाज में बात करने की जरूरत नहीं होती। कई बात को बिना बोले ही काम हो जाता है।
अपनी पूरी बात का सार बताते हुए संत ने आखिरी में कहा, जब भी बहस करें तो दिलों की दूरियों को न बढ़ने दें। शांत चित्त और धीमी आवाज में ही बात करें।