Somvati Amavasya 2021: आज 6 सितंबर को सोमवती अमावस्या है। ज्योतिष में चंद्रमा का महत्व देखें तो चंद्रमा को माता के सुख का कारक ग्रह माना गया है।
अगर किसी की जन्म कुंडली में चंद्रमा अशुभ, कमजोर या नीच राशी का हो। तो ऐसे जातक को उसकी माता से प्रेम और स्नेह नही मिल पाता। इसके इलावा चंद्रमा को चल अचल सम्पति जैसे की जमीन और जमापूंजी के सुख का कारक भी माना गया है।
स्वास्थ्य के रूप में देखें तो चंद्रमा को हृदय और रक्त का कारक माना गया है। अगर चंद्रमा अशुभ फल दे रहा हो, ऐसे जातक को हृदय और रक्त से जुड़े रोग, हाथो में कम्पन, अचानक बैचेनी और घबराहट बढ़ने जैसी समस्या होती है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, अमावस्या और पूर्णिमा का बहुत महत्व है, और सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को बहुत शुभ माना जाता है।
कुंडली पर होने वाले प्रभाव
स्वर्ण पदक प्राप्त ज्योतिषाचार्य डॉ पंडित गणेश शर्मा के अनुसार जब जन्म कुंडली के किसी भी भाव में चन्द्र केतु की युति हो, या फिर चंद्रमा पर केतु की दृष्टि हो या फिर जन्म कुंडली के चतुर्थ भाव में केतु की स्थिति हो, या फिर केतु के पक्के घर यानि जन्म कुंडली के छठे भाव में चंद्रमा की स्थिति हो, सिर्फ ऐसी ही ग्रह स्थिति को चंद्रमा का ग्रहण योग कहा जाता है। इसी का उपाए सोमवती अमावस्या पर किया जाता है। जबकि चन्द्र शनि के संबंध से जो विश्योग बनता है उसका उपाए ऐसी अमावस्या के दिन किया जाता है जो शनिवार के दिन हो।
चन्द्र केतु के इस संबंध से बनने वाले ग्रहण योग के अन्य दुष्प्रभाव के रूप में प्रेम संबंध बन कर टूटना, व्यसायक लेन देन में पैसा अटकना, जमापूंजी का आभाव, खुद का घर ना बन पाना, दिन के ढलते ही बैचेनी और घबराहट बढना, हृदय रोग, और अगर किसी महिला की जन्म कुंडली में यह ग्रहण योग हो तो उसको विवाह और सन्तान प्राप्ति में बाधा, घरेलू जीवन में कष्ट होता है। अगर आपकी भी जन्म कुंडली में चन्द्र केतु का यह ग्रहण योग है, और आपको अशुभ फल मिल रहे है, तो आपको इस सोमवती अमावस्या 6 सितम्बर के शुभ अवसर का लाभ जरुर प्राप्त करना चाहिये।
सोमवती अमावस्या की धार्मिक मान्यताएं
अमावस्या को वर्ष के सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली समयों में से एक माना जाता है। यही कारण है कि पूरे भारत में भक्तों द्वारा इस दिन कई महत्वपूर्ण अनुष्ठानों और परंपराओं का पालन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि सोमवती अवस्या के दिन किसी भी पवित्र नदी में डुबकी लगाने से परिवार में सुख-समृद्धि आती है। दान एक और महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जो इस दिन मनाया जाता है। संतान की इच्छा रखने वाले दंपत्ति इस दिन व्रत रख सकते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग सभी अमावस्या के दिनों में व्रत नहीं कर सकते हैं वे सोमवती अमावस्या का व्रत रख सकते हैं। यह दिन विवाहित महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, जो अपने पति की लंबी उम्र के लिए सोमवती अमावस्या व्रत का पालन करती हैं। द्रिकपंचांग के अनुसार, अमावस्या काल सर्प दोष वाले लोगों के लिए एक आदर्श दिन है। इस श्राप से प्रभावित लोग उपवास रखते हैं और इस दोष से छुटकारा पाने के लिए कुछ उपायों का पालन करते हैं।
सोमवती अमावस्या 2021 का महत्व
इस अमावस्या को इसलिए महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस दिन बुध (बुध), शुक्र (शुक्र, चंद्र (चंद्रमा), गुरु/बृहस्पति (बृहस्पति) और शनि (शनि) अपनी-अपनी राशियों में रहते हैं। साथ ही, हिंदू मान्यता के अनुसार, यदि अविवाहित कन्या या स्त्री व्रत रखती है और भगवान शिव की पूजा करती है तो उसे योग्य पुरुष की प्राप्ति होती है। यदि विवाहित स्त्री इस दिन का पालन करती है, तो यह विधवापन को दूर करने में मदद करता है। इतना ही नहीं, संतान की इच्छा रखने वाले जोड़ों को यह सलाह दी जाती है कि इस दिन व्रत करें। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने वाले सभी की मनोकामना पूरी करते हैं।