Subhash Chandra Bose Jayanti पीएम मोदी ने किया नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण कार्यक्रम
पीएम मोदी ने किया नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण
Subhash Chandra Bose Jayanti 2022: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को नई दिल्ली में इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया। इंडिया गेट पर कार्यक्रम चल रहा है।
महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की याद में हर साल 23 जनवरी को पराक्रम दिवस (Parakram Diwas 2022) के रूप में मनाता है। इस वर्ष 2022 में सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose Jayanti ) की 125वीं जयंती मनाई जा रही है।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को नई दिल्ली में इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया। अभी ये होलोग्राम प्रतिमा है, लेकिन 15 अगस्त तक ग्रेनाइट से बनी उनकी भव्य प्रतिमा इंडिया गेट पर स्थापित की जाएगी। जब तक नेताजी बोस की भव्य प्रतिमा पूरी नहीं हो जाती, तब तक उनकी एक होलोग्राम प्रतिमा यहां मौजूद रहेगी।
उधर, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार से अपील की है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस (#SubhashChandraBose) के जन्मदिन को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया जाए ताकि पूरे देश को राष्ट्रीय नेता को श्रद्धांजलि दी जा सके और देशनायक दिवस को सबसे उपयुक्त तरीके से मनाया जा सके। ममता बनर्जी की इस मांग पर केंद्र की प्रतिक्रिया का इंतजार है।
Netaji Subhas Chandra Bose Prerak vichar
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- ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा
- मेरा अनुभव है कि हमेशा आशा की कोई न कोई किरण आती है, जो हमें जीवन से दूर भटकने नहीं देती।
- मुझे यह नहीं मालूम कि स्वतंत्रता के इस युद्ध में हम में से कौन -कौन जीवित बचेंगे, परंतु मैं यह जानता हूं कि अंत में विजय हमारी ही होगी।
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- याद रखिए सबसे बड़ा अपराध अन्याय सहना और गलत के साथ समझौता करना है।
- मां का प्यार सबसे गहरा होता है- स्वार्थरहित. इसको किसी भी तरह से मापा नहीं जा सकता।
- जिस व्यक्ति के अंदर ‘सनक’ नहीं होती वो कभी महान नहीं बन सकता. लेकिन उसके अंदर, इसके अलावा भी कुछ और होना चाहिए।
- जो अपनी ताकत पर भरोसा करते हैं, वो आगे बढ़ते हैं और उधार की ताकत वाले घायल हो जाते हैं।
- आज हमारे अंदर बस एक ही इच्छा होनी चाहिए, मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके; एक शहीद की मौत मरने की इच्छा ताकि स्वतंत्रता का मार्ग शहीदों के खून से प्रशस्त हो सके।
- हमारा सफर कितना ही भयानक, कष्टदायी और बदतर हो, लेकिन हमें आगे बढ़ते रहना ही है. सफलता का दिन दूर हो सकता हैं, लेकिन उसका आना अनिवार्य ही है।