Supreme Court: इंदौर के मनावर में सवा पांच वर्ष पहले दुष्कर्म के बाद एक बच्ची की हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपराध किए जाने की तारीख पर नाबालिग होने की बात साबित होने पर दोषी की मौत की सजा रद कर दी और उसे तुरंत रिहा करने के आदेश दिए। कोर्ट ने माना कि आरोपित ने बच्ची के साथ दुष्कर्म करने के बाद उसकी हत्या की थी, लेकिन घटना के वक्त वह नाबालिग था।
जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय करोल की शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा, अपीलकर्ता की दोषसिद्धि को बरकरार रखा गया है, हालांकि, सजा को रद कर दिया गया है। इसके अलावा, चूंकि वर्तमान में अपीलकर्ता की आयु 20 वर्ष से अधिक होगी, इसलिए उसे किशोर न्याय बोर्ड या किसी अन्य बाल देखभाल सुविधा या संस्थान में भेजने की कोई आवश्यकता नहीं होगी। अपीलकर्ता न्यायिक हिरासत में है। उसे अविलंब रिहा किया जाए।
किशोर न्याय अधिनियम के तहत उसे अधिकतम तीन वर्ष की सजा दी जा सकती है। वह पांच वर्ष से जेल में है। उसे रिहा किया जाना चाहिए। 36 पेज के फैसले में कोर्ट ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए कि उसने आरोपित की उम्र की पुष्टि किए बिना ही आम आरोपितों की तरह उसे पेश कर दिया