Supreme Court देश की जेलों में बंद कैदियों को मतदान का अधिकार देने की मांग उठी है। इसे लेकर दायर जनहित याचिका (PIL) पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी जवाब मांगा है।
Supreme Court
पीआईएल के जरिए जनप्रतिनिधित्व कानून के उस प्रावधान की वैधता को चुनौती दी गई है, जो कैदियों को मतदान से वंचित करता है। प्रधान न्यायाधीश यूयू ललित, जस्टिस एस. रवींद्र भट और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने वकील जोहेब हुसैन की याचिका पर संज्ञान लेते हुए गृह मंत्रालय व चुनाव आयोग को नोटिस जारी किए हैं।
यह याचिका 2019 में आदित्य प्रसन्न भट्टाचार्य ने दायर की थी। उस वक्त वे नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी थे। याचिका में जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 62(5) की वैधता को चुनौती दी गई है। यह धारा जेल में बंद व्यक्ति को मतदान से रोकती है। पीठ मामले में अब 29 दिसंबर को सुनवाई करेगी।
जेल में बंद व्यक्ति नहीं कर सकता मतदान
जनप्रतिनिधित्व कानून की उक्त धारा में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जो जेल में बंद हो, वह किसी भी चुनाव में मतदान नहीं कर सकेगा। ऐसे व्यक्ति को चाहे कारावास हुआ हो, वह ट्रांजिट रिमांड पर हो या पुलिस हिरासत में, उसे मतदान की पात्रता नहीं होगी।