कटनी। प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप जैविक खेती को गति प्रदान करने के लिए मध्य प्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग द्वारा विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर स्वावलंबी एवं स्वरोजगार स्थापित करने के लिए नई शिक्षा नीति के अंतर्गत व्यावसायिक शिक्षा के तहत स्नातक स्तर पर शिक्षा प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ जैविक खेती को पाठयक्रम में जोड़ा गया।
इसी क्रम में विद्यार्थियों को जैविक खेती का प्रशिक्षण देने के लिए शासकीय महाविद्यालय विजयराघवगढ़ में प्राचार्य डॉ सुषमा श्रीवास्तव के मार्गदर्शन एवं प्रशिक्षण समन्वयक डॉक्टर अरुण कुमार सिंह तथा सुमन पुरवार के सहयोग से जैविक कृषि विशेषज्ञ रामसुख दुबे द्वारा बाजारा तकनीक का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण के दौरान बताया गया कि बाजरा मैं पोषक तत्वों की मात्रा अधिक होती है। बाजरा हेतु कम पानी और कम खर्चे तथा कम खाद एवं सिंचाई की कम आवश्यकता होती है एवं कीटनाशकों का प्रयोग भी कम होता है क्योंकि इनमें कीटों से लड़ने की रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है। 8 किलो बीज प्रति हेक्टेयर बोने से 25 से 30 क्विंटल उत्पादन प्रति हेक्टर प्राप्त होता है।
वैज्ञानिक विधि के अनुसार भूमि का चुनाव खेत की तैयारी बोनी का समय एवं तरीका बीज की मात्रा एवं उन्नत किस्म बीज उपचार तथा कल्चर उपचार जैविक खाद की मात्रा सिंचाई एवं खरपतवार नियंत्रण, अंतरवर्तीय फसलें तथा कीट एवं रोग नियंत्रण एवं जैविक तथा रासायनिक खेती में अंतर का तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया।