रीठी अध्ययन केंद्र में भगवान बिरसा मुंडा जी की 150 वीं जयंती व लाला लाजपतराय राय जी की पुण्यतिथि का हुआ आयोजन
छात्र/छात्राओं ने जनजाति संस्कृति को याद कर नृत्य व खेल के साथ आयोजित की गतिविधियाँ
रीठी। मध्यप्रदेश जनअभियान परिषद द्वारा संचालित समाजकार्य में स्नातक व स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के अंतर्गत बीएसडब्ल्यू व एमएसडब्ल्यू की प्रत्येक रविवार को आयोजित कक्षाओं के संचालन के साथ साथ आज शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय रीठी अध्ययन केंद्र में प्राचार्य श्री भारत सिंह की अध्यक्षता में भगवान बिरसा मुंडा जी की 150 वीं जयंती का आयोजन किया गया। आज के इस कार्यक्रम में नवांकुर संस्था आदर्श नवयुवक सेवा समिति के श्री सुरेंद्र पाठक व श्री कौशल चौबे मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए।
सर्वप्रथम भगवान बिरसा मुंडा जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए परामर्शदाता श्री अरुण तिवारी द्वारा बताया गया कि बिरसा मुंडा एक भारतीय आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी और मुंडा जनजाति के लोक नायक थे। उन्होंने ब्रिटिश राज के दौरान 19वीं शताब्दी के अंत में बंगाल प्रेसीडेंसी (अब झारखंड) में हुए एक आदिवासी धार्मिक सहस्राब्दी आंदोलन का नेतृत्व किया, जिससे वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बन गए। भारत के आदिवासी उन्हें भगवान मानते हैं और ‘धरतीबा’ के नाम से भी जाना जाता है। इसी क्रम में परामर्शदाता गोवर्धन रजक ने बताया कि भारत सरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 10 नवंबर 2021 को आयोजित बैठक में आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को याद करने के लिए बिरसा मुंडा की जयंती 15 नवंबर को “जनजातीय गौरव दिवस” के रूप में घोषित किया है।इस दिन को भारत के एक वीर स्वतंत्रता सेनानी को याद किया जाता है।
इसी अवसर पर परामर्शदाता रूपा बर्मन द्वारा छात्राओं के माध्यम से आदिवासी नृत्य की तैयारी कर प्रस्तुत किया गया जिसमें रजनी सिंह,नीमा, रानू, कीर्ति बर्मन, मीनू प्रधान के द्वारा शानदार नृत्य की प्रस्तुति दी गई। इसके पश्चात एमएसडब्ल्यू के महेश बर्मन ने बिरसा मुंडा के जीवन पर विचार प्रस्तुत किये जिसमें 19वीं शताब्दी के अंत में अंग्रेजों ने कुटिल नीति अपनाकर आदिवासियों को लगातार जल-जंगल-जमीन और उनके प्राकृतिक संसाधनों से बेदखल करने लगे। हालाँकि आदिवासी विद्रोह करते थें, लेकिन संख्या बल में कम होने एवं आधुनिक हथियारों की अनुपलब्धता के कारण उनके विद्रोह को कुछ ही दिनों में दबा दिया जाता था। यह सब देखकर बिरसा मुंडा विचलित हो गए, और अंततः 1895 में अंग्रेजों की लागू की गयी जमींदारी प्रथा और राजस्व-व्यवस्था के ख़िलाफ़ लड़ाई के साथ-साथ जंगल-जमीन की लड़ाई छेड़ दी। इसके पश्चात सावित्री लोधी ने आज के ही दिन शहीद हुए स्व. लाला लाजपतराय जी की पुण्यतिथि पर अपने विचार प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने बताया कि भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे। इन्हें पंजाब केसरी भी कहा जाता है। इन्होंने पंजाब नैशनल बैंक और लक्ष्मी बीमा कम्पनी की स्थापना भी की थी ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में गरम दल के3 तीन प्रमुख नेताओं लाल-बाल-पाल में से एक थे। सन् 1928 में इन्होंने साइमन कमीशन के विरुद्ध एक प्रदर्शन में हिस्सा लिया, जिसके दौरान हुए लाठी-चार्ज में ये बुरी तरह से घायल हो गये और अन्ततः 17 नवम्बर सन् 1928 को इनकी महान आत्मा ने पार्थिव देह त्याग दी। इसी अवसर पर एमएसडब्ल्यू की छात्रा अनीता यादव व रानू विश्वकर्मा द्वारा देशभक्ति गीत प्रस्तुत किया गया। एवं कुंती, दीपा व शीला के द्वारा इनके जीवन पर विचार प्रस्तुत किये। परामर्शदाता शिवानी गुप्ता द्वारा हमारे पुराने खेल जो आज विलुप्त हो रहे हैं, लंगड़ी दौड़ एवं अंडा पछाड़ खायें छात्र/छात्राओं ने खेलकर पुराने दिन याद किये। कार्यक्रम का सफल संचालन परामर्शदाता शरद यादव द्वारा किया गया।
कार्यक्रम के अंत मे विजेता प्रतिभागियों व इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले सभी छात्र/छात्राओं को नवांकुर संस्था आदर्श नवयुवक सेवा समिति द्वारा पुरस्कृत करते हुए प्रमाण पत्र प्रदान करने का निर्णय लिया। इस कार्यक्रम में नवांकुर संस्था युवा सबेरा समिति, आदर्श नवयुवक सेवा समिति, बरजी, ग्राम विकास प्रस्फुटन समिति कुदरी के सदस्यों की उपस्थिति रही। अन्त में महेश बर्मन के द्वारा सभी का आभार व्यस्त किया गया।