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धनुष भंग और सीता स्वयंवर की कथा सुन भावविभोर हुए श्रोता

भगवान श्रीराम ने अभिमान रूपी धनुष को तोड़ दिया और गुण रूपी डोरी को छोड़ दिया:- श्री मुरारीदास

रीठी। विकासखण्ड रीठी अंतर्गत ग्राम देवगांव स्थित अलोनी नदी के तट पर सिद्ध बाबा पीठ, हनुमान चौकी में चल रही श्रीराम कथा में श्रीधाम वृंदावन से पधारे कथा व्यास श्री श्री 1008 श्री राष्ट्रीय समाज सुधारक शीतल संत श्री मुरारीदास जी महाराज के द्वारा श्रीरामकथा की अमृतयमयी वाणी से कथा श्रवण करने क्षेत्र के हजारों की संख्या में भक्त पहुंच कर कथा श्रवण कर रहे हैं आज की कथा में पूज्य कथाव्यास जी ने बताया कि भगवान राम और लक्ष्मण जब जनकपुरी की गलियों से गुजरे तब उनकी सुंदरता और मोहक छवि हर किसी को लुभाती रही। लोग उन्हें निहारने के लिए खड़े थे और पुष्पवर्षा कर रहे थे। जनकपुर दर्शन, अष्टसखी संवाद और फुलवारी की लीला देखने के लिए लोग उमड़ पड़े थे।

उन्होंने कहा कि धनुष अभिमान का प्रतीक है और धनुष की डोरी होती है, डोरी(रस्सी) को संस्कृत में गुण भी कहा जाता है, सरल भाषा मे अभिमान का गुण धनुष है। भगवान श्रीराम ने अभिमान रूपी धनुष तो तोड़ दिया पर गुण रूपी डोरी (रस्सी) को छोड़ दिया। आशय, गुण तो रहे पर अभिमान टूट जाए। विश्वामित्र ने संपूर्ण उत्तर भारत को दुष्टजनों से श्रीराम द्वारा मुक्त करा लिया और सभी ऋषि मुनि के यज्ञ सुचारू रूप से होने लगे तो विश्वामित्र जी श्री राम को जनकपुर की ओर ले गए।

जहां सीता स्वयंवर चल रहा था। स्वयंवर में जब कोई राजा धनुष नहीं तोड़ पा रहा था तो श्रीराम जी ने विश्वामित्र की आज्ञा पाकर धनुष तोड़ दिया। जिसका सीधा संदेश यह था कि आज पृथ्वी पर दुष्टजनों का काल आ गया है, क्योंकि धनुष तोड़ना अर्थात पूरे विश्व को सावधान करना था चाहे, कोई कितना भी शक्तिशाली राक्षस प्रवृति का व्यक्ति हो वह जीवित नहीं बचेगा। सबसे पहले भगवान श्रीराम व माता जानकी के विवाह में तिलकोत्सव, हल्दी, मेहंदी, तेल पूजा, मंड़वा, बारात, जयमाला की रस्म अदा की गई। इस अवसर पर बाबा रामसुजान पुजारी व श्री अशोक शर्मा पुजारी जी व ग्राम देवगांव, सुगवां, मूरपार, बिरुहली, हथकुरी, के आसपास व रीठी क्षेत्र के हजारों श्रोताओं की उपस्थिति रही।

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