दशहरे पर इस बार भी आकर्षण का केंद्र रहेगा रावण का 80 फुट ऊंचा विशाल पुतला

पुतले को तैयार करने ली जा रही क्रेन की मदद, दशहरा पर्व के लिए दुल्हन की तरह सजा रामलीला मैदान

कैमोर। न केवल कटनी जिला बल्कि पूरे प्रदेश और देश में ख्याति प्राप्त कर चुका कैमोर का दशहरा महोत्सव इस बार भी पूरी भव्यता के साथ अपनी पूर्व परम्परा के अनुरूप ही मनाया जाएगा। एसीसी अडानी समूह के कलस्टर हेड सेंट्रल ज़ोन सीएमओ वैभव दीक्षित विदा ले रहे हेड एच आर एच पी सिंह,नवागत एच आर हेड दिनेश पाठक ,प्लांट हेड असित पुरई और प्लांट हेड अमहटा अतुल दत्ता सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में दशहरा उत्सव कमेटी इस बार भी दशहरा महोत्सव को एक यादगार आयोजन बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही। दशहरा महोत्सव का आगाज़ बीते 28 सितंबर से बाराणसी से आये रामलीला मंडल द्वारा रामलीला के मंचन के साथ ही शुरू हो गया था। नवरात्रि की बैठकी के दिन रामलीला मैदान में ही भव्य और आकर्षक पंडाल में शक्तिस्वरूपा जगदम्बे की प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलीला मैदान की शोभा और भी बढ़ गई है।

रावण के विशाल पुतले ने कैमोर के दशहरे को दिलाई है प्रसिद्धि

कैमोर के दशहरा महोत्सव में वैसे तो बहुत कुछ खास होता है पर इसे प्रदेश और देश में प्रसिद्धि दिलाने में यहां तैयार किये जाने वाले रावण के विशाल पुतले का अहम योगदान रहा। दस सिरों वाला लगभग 100 फुट ऊंचा रावण का पुतला बनाने में लगभग एक से डेढ़ महीने का समय लगता है। आधा सैकड़ा से अधिक अनुभवी और कुशल कारीगर श्रमिक लकड़ी की बड़ी बड़ी बल्लियों,बांस,जुट,रंगीन कागज आदि की सहायता से पुतले के अलग अलग अंग तैयार करते हैं फिर क्रेन के माध्यम से इंजीनियर्स की देखरेख में ये अंग लगाये जाते हैं। पुतला तैयार करने की प्रक्रिया भी इतनी रोचक होती है कि उसे देखने भारी संख्या में दर्शक मैदान में उपस्थित रहते हैं। विजयादशमी के दो चार दिन पहले पुतला पूरी तरह बनकर तैयार हो जाता है।

राम के अग्निबाण से होता है रावण के पुतले का दहन

रावण के इस विशाल पुतले का दहन विजयादशमी की शाम बेहद रोमांचक और आकर्षक तरीके से किया जाता है। पहले लगभग एक घन्टे आतिशबाजी का शानदार प्रदर्शन होता है। आतिशबाजी के बाद रामलीला मंच से एक अग्निबाण छोड़ा जाता है जो आकाश मार्ग से जगमग करता हुआ लगभग 500 मीटर की दूरी तय कर रावण के पुतले तक पहुंचता है। इस पूरी प्रक्रिया का संचालन प्लांट के इंजीनियर और दक्ष तकनीकी कर्मचारियों द्वारा किया जाता है। अग्निबाण जैसे ही पुतले की छाती से टकराता है एक जोरदार विस्फोट के साथ ही विशाल पुतला धू – धू कर जल उठता है। आसमान छूती आग की लपटों के बीच पूरा मैदान तालियो की गड़गड़ाहट से गूंज उठता है। आतिशबाजी और पुतला दहन का यह रोमांचक नज़ारा देखने 70 से 80 हज़ार दर्शक रामलीला मैदान और इसके आस – पास मौजूद रहते हैं।

तरह तरह के व्यंजन,विशालकाय झूलों का भी है आनंद

रामलीला मैदान के भीतर और प्रदर्शनी मैदान में आपको चाइनीज व्यंजनों से लेकर दक्षिण भारत का इडली डोसा,बड़ा यूपी की चाट और भी जाने कितने प्रकार के व्यंजनों के स्टाल लगे मिल जाएंगे। मिकी माउस से लेकर विशाल आकाशीय झूले,क्रॉकरी और मनिहारी की दुकानों सहित विविध रोजमर्रा की वस्तुओं की दर्जनों दुकानें भी मैदान में लगती है। ये व्यापारी देश के विभिन प्रान्तों और शहरों से कैमोर पहुंचते हैं। शाम होते ही इन व्यंजनों और झूलों का आनंद लेने भीड़ उमड़ने लगती है जो रामलीला मंचन समाप्त हो जाने के बाद भी मैदान में बनी रहती है।

नवरात्रि की बैठकी से ही सज जाता है मातारानी का दरबार

कैमोर के एसीसी रामलीला मैदान में दशहरा महोत्सव के दौरान नवरात्रि पर्व पर आदि शक्ति जगदम्बे की प्राण प्रतिष्ठा की परंपरा भी पुरानी है जिसका स्वरूप दिनोदिन और भव्य होता आया है। एक समय देश के किसी ऐतिहासिक, पुरातात्विक अथवा सुप्रसिद्ध धार्मिक स्थल की थीम पर दुर्गा पंडाल सजाया जाता था। कोलकाता के दक्षिणीश्वर काली मंदिर,,दिल्ली के लालकिला,,अमृतसर के स्वर्ण मंदिर की झलक भी दर्शक यहां के दुर्गा पंडाल में देख चुके हैं। पिछले कुछ सालों से ऐसी झांकी नहीं बन पा रही फिर भी कोलकाता के कलाकारों द्वारा तैयार की गई भव्य दुर्गा प्रतिमा पूरे विधि विधान के साथ यहाँ बैठकी के दिन से ही स्थापित हो जाती है। प्रतिदिन मातारानी के दर्शन और आरती में हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं। इस बार भी भव्य पंडाल में आकर्षक झांकी श्रद्धालुओं को खूब पसंद आ रही।

दशहरा के बाद आर्केष्ट्रा और कवि सम्मेलन का भी इंतजाम

कैमोर में दशहरा 12 अक्टूबर विजयादशमी को मनाया जाएगा। इसके बाद अलग अलग तिथियों में नागपुर की सुप्रसिद्ध आर्केस्टा की प्रस्तुति होगी। कवि सम्मेलन और स्थानीय कलाकारों के कार्यक्रम भी आयोजित किये जायेंगे। स्थानीय कलाकारों को अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का अवसर भी दशहरा कमेटी द्वारा प्रदान किया जाता है। एसीसी जिमखाना के म्यूज़िक सेक्रेटरी मनीष नवेत की देखरेख में स्थानीय कलाकार अपनी तैयारियों में जुटे हैं।

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