UP Election By Lord Krishna: अब भाजपा को चाहिए कृष्ण का सहारा, ‘केशव’ के शंखनाद से सियासी हलचलें हुईं तेज

UP Election By Lord Krishna

UP Election By Lord Krishna  उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के ठीक पहले उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने मथुरा का मुद्दा उठा कर एक नई बहस छेड़ दी है। केशव प्रसाद मौर्य के इस ट्वीट के बाद विपक्ष ने आरोप लगाना शुरू कर दिया है कि भाजपा विकास और काम के आधार पर चुनाव में जीत हासिल करने की स्थिति में नहीं है, यही कारण है कि उसने जानबूझ कर मथुरा की बहस छेड़ दी है।

इस पर विवाद खड़ा कर वह वोटों का ध्रुवीकरण कर चुनाव में अपनी जीत सुनिश्चित करना चाहती है। विपक्ष का दावा है कि बीजेपी की यह कोशिश कामयाब नहीं होगी। वहीं, भाजपा ने कहा है कि यह उसका लंबे समय से घोषित सांस्कृतिक मुद्दा रहा है। वह समय-समय पर इस मुद्दे पर बहस भी करती रही है, इसलिए इस मुद्दे को उत्तर प्रदेश चुनाव से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए।

दरअसल, भाजपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपना राजनीतिक समीकरण ठीक करना चाहती है। भाजपा को भी अनुमान है कि किसान आंदोलन के कारण जाटों की नाराजगी उस पर भारी पड़ सकती है। बागपत, मथुरा, आगरा, मेरठ, शामली, सहारनपुर की बेल्ट में जाट-मुस्लिम मतदाताओं के बीच गहरी पैठ रखने वाली राष्ट्रीय लोकदल का इस चुनाव में समाजवादी पार्टी से गठबंधन है। यह गठबंधन इस चुनाव में भाजपा के लिए भारी मुश्किलें खड़ी कर सकता है। पिछले विधानसभा चुनाव में इस बेल्ट की 136 सीटों में से भाजपा को 103 सीटों पर सफलता मिली थी।

जाटों की नाराजगी बन रही समस्या
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए मथुरा का मुद्दा एक संवेदनशील मामला हो सकता है। पूरे हिंदू समाज के साथ-साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मथुरा को विशेष सम्मान प्राप्त है और यहां के लोग स्वयं को इससे बहुत जुड़ा हुआ महसूस करते हैं। यही कारण है कि भाजपा को लगता है कि यदि यह मुद्दा लोगों के बीच उठाया गया, तो इससे जाटों की नाराजगी कम हो सकती है। यदि जाटों का एक हिस्सा भी उसकी तरफ लौट आता है, तो किसान आंदोलन के कारण होने वाली नाराजगी की काफी हद तक भरपाई हो सकती है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पश्चिमी यूपी के मोर्चे पर हैं। उन्हें इस क्षेत्र में पार्टी की स्थिति मजबूत करने की जिम्मेदारी दी गई है। माना जा रहा है कि वोटों के ध्रुवीकरण के सबसे बेहतरीन खिलाड़ी अमित शाह की रणनीति के आधार पर ही भाजपा नेताओं ने इस मामले को उछालना शुरू किया है। केशव प्रसाद मौर्य के ट्वीट ‘अयोध्या का काम जारी है, अब काशी-मथुरा की तैयारी है’ को इसी कड़ी से जोड़कर देखा जा रहा है।
भाजपा ने हार मान ली है – कांग्रेस
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष विश्वविजय सिंह ने अमर उजाला से कहा कि पूरी भाजपा की टीम अब तक यह प्रचारित करने में जुटी थी कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में राज्य में अभूतपूर्व विकास हुआ है। पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर अमित शाह, जेपी नड्डा सहित सभी भाजपा के नेता यही हवा बनाने की कोशिश कर रहे थे कि जनता विकास के नाम पर उन्हें दोबारा सत्ता सौंपेगी। लेकिन अब भाजपा को यह अहसास हो गया है कि जनता उससे बहुत नाराज है।

विश्वविजय सिंह ने कहा कि पूरी सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने के बाद भी प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रैलियों में लोग नहीं आ रहे हैं। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन के अवसर पर पीएम की सुलतानपुर की बहुप्रचारित जनसभा से लेकर जेवर एयरपोर्ट के शिलान्यास के अवसर पर भी भाजपा जनता को आकर्षित नहीं कर सकी। यही कारण है कि वह अब मथुरा राग के सहारे वोटों का ध्रुवीकरण कर चुनाव जीतना चाहती है। उन्होंने कहा कि इससे साबित होता है कि भाजपा ने अभी से चुनाव में हार मान ली है।


हमेशा से उठाया मुद्दा
वहीं, राज्यसभा से भाजपा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने कहा कि भाजपा के लिए अयोध्या-मथुरा-काशी हमेशा से मुद्दा रहे हैं। भाजपा इन्हें सांस्कृतिक पुनरुत्थान का विषय समझती है और लगातार इसके लिए आवाज उठाती रही है। वे स्वयं पिछले दो वर्षों से मथुरा की मुक्ति के लिए अभियान चला रहे हैं, और समाज के सभी वर्गों से इस समस्या का शांतिपूर्ण समाधान खोजने के लिए अपील करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि, इसलिए इस मुद्दे को यूपी चुनाव से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए।

हरनाथ सिंह यादव ने कहा कि मुस्लिमों की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भी अल्लाह उस जगह पर बनी मस्जिद की इबादत स्वीकार नहीं करता, जिसे जोर-जबरदस्ती से या किसी दूसरे धर्म के पवित्र स्थल को तोड़कर बनाया गया हो। उन्होंने कहा कि ऐसे में मुस्लिम समुदाय के लोगों को भी बड़ा हृदय दिखाते हुए भगवान कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा को हिंदू समाज को सौंप देनी चाहिए।

 

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