विदेश
US ने कहा-चीन के साथ सीमा विवाद में भारत का रवैया अनुभवी ताकतवर देश जैसा
वॉशिंगटन. एक टॉप अमेरिकी एक्सपर्ट ने कहा है कि चीन के साथ सीमा विवाद में भारत का रवैया एक अनुभवी ताकतवर देश जैसा रहा है, वहीं इस मामले में चीन बचकानी हरकतें कर रहा है। 16 जून से सिक्किम के डोकलाम में भारत-चीन के बीच बॉर्डर विवाद चल रहा है। भारत का कहना है कि बातचीत तभी हो सकती है, जब दोनों देशों की सेनाएं पीछे जाएं। चीन का कहना है कि भारत, उसकी सीमा में दाखिल हुआ है, लिहाजा उसे पीछे जाना चाहिए। इस बीच चीन 8 बार धमकी भी दे चुका है। भारत का रुख सही…
न्यूज एजेंसी के मुताबिक यूएस नेवल वॉर कॉलेज में डिफेंस स्ट्रैटजी के प्रोफेसर जेम्स आर. होम्स ने कहा, “पूरे विवाद में भारत का रुख एकदम ठीक है। भारत की सेनाएं न तो विवादित इलाके से वापस आ रही हैं और न ही वह चीन की धमकियों को कोई जवाब दे रहा है।”
– “भारत एक मैच्योर पावर की तरह बर्ताव कर रहा है और चीन किसी नासमझ की तरह बयानबाजी कर रहा है।”
– “इसे अजीब ही कहा जाएगा कि चीन अपने शक्तिशाली पड़ोसी के साथ सीमा विवाद में उलझा है। अगर चीन समुद्र में अपनी ताकत बढ़ाना भी चाहता है तो उसे अपनी सीमाएं सुरक्षित करनी होंगी। लेकिन इसका ये कतई मतलब नहीं कि वह अपने पड़ोसियों की सीमा में दखलअंदाजी करे।”
– “इसे अजीब ही कहा जाएगा कि चीन अपने शक्तिशाली पड़ोसी के साथ सीमा विवाद में उलझा है। अगर चीन समुद्र में अपनी ताकत बढ़ाना भी चाहता है तो उसे अपनी सीमाएं सुरक्षित करनी होंगी। लेकिन इसका ये कतई मतलब नहीं कि वह अपने पड़ोसियों की सीमा में दखलअंदाजी करे।”
– भारत-चीन सीमा विवाद पर अमेरिका चुप क्यों है, इस सवाल पर होम्स ने कहा, “हो सकता है कि नरेंद्र मोदी और उनके सलाहकार फिलहाल नहीं चाहते कि यूएस इस विवाद में शामिल हो। हालांकि इस बात की संभावना है कि विवाद बढ़ने पर अमेरिका, भारत का ही सपोर्ट करेगा।”
भारत ने चीन बॉर्डर पर सैनिकों की तैनाती बढ़ाई
– भारत ने चीन से सटे सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के 1400 किलोमीटर लंबे साइनो-इंडिया बॉर्डर पर सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी है। सरकार के मुताबिक, देश की पूर्वी सरहद पर फौज के लिए अलर्ट लेवल बढ़ा दिया गया है।
– भारत का कहना है कि चीन हमारे इलाके में घुसपैठ कर रहा है। वहां भारत के 350 सैनिक जमे हुए हैं। बता दें कि डोकलाम भारत-चीन-भूटान का ट्रायजंक्शन है।
– “ईस्टर्न इलाके के सेंसिटिव इलाके में सुकना बेस्ड 33 कॉर्प्स, अरुणाचल और आसाम बेस्ड 3-4 कॉर्प्स प्रोटेक्शन की जिम्मेदारी दी गई है।” इस बारे में अफसर ने कोई जानकारी नहीं दी कि कितने सैनिक बढ़ाए गए हैं। अफसर ने ऑपरेशनल मूव होने के चलते ये जानकारी देने से इनकार कर दिया।
क्या बोली थीं सुषमा?
– 21 जुलाई को सुषमा ने संसद में चीन से कहा, “अगर वह सिक्किम में ट्राई-जंक्शन में स्टेटस-को में बदलाव करता है तो इसे भारत की सुरक्षा के लिए चुनौती माना जाएगा। स्टेटस-को यानी यथास्थिति बनाए रखना है। ट्राईजंक्शन पर भारत, चीन और भूटान की सेनाएं फिलहाल अपनी-अपनी सीमा में हैं। लेकिन चीन की आर्मी, भारत के काफी करीब है।”
– “डोकलाम में एक ट्राईजंक्शन है और 2012 में एक लिखित समझौते के तहत फैसला हुआ था कि इसमें कोई भी फेरबदल भारत, चीन और भूटान के बीच चर्चा के बाद ही होगा।”
– “चीन लगातार वहां आता रहा है। कभी डेवलपमेंट के लिए कभी किसी और काम के लिए। लेकिन इस बार वे सीधे ट्राईजंक्शन प्वाइंट पर आ गए। कोई भी एकतरफा फैसला हमारी सुरक्षा व्यवस्था के लिए खतरा है।”
– 3 अगस्त को सुषमा ने राज्यसभा में कहा, “जंग किसी समस्या का हल नहीं है। डोकलाम पर चीन के साथ मिलकर मुद्दा सुलाझाने की कोशिश कर रहे हैं, हमारी बाइलेटरल रिश्तों पर भी चीन के साथ बातचीत चल रही है। अक्लमंदी यही है कि विवाद का हल डिप्लोमैसी के जरिए निकाला जाए।”
– “डोकलाम में एक ट्राईजंक्शन है और 2012 में एक लिखित समझौते के तहत फैसला हुआ था कि इसमें कोई भी फेरबदल भारत, चीन और भूटान के बीच चर्चा के बाद ही होगा।”
– “चीन लगातार वहां आता रहा है। कभी डेवलपमेंट के लिए कभी किसी और काम के लिए। लेकिन इस बार वे सीधे ट्राईजंक्शन प्वाइंट पर आ गए। कोई भी एकतरफा फैसला हमारी सुरक्षा व्यवस्था के लिए खतरा है।”
– 3 अगस्त को सुषमा ने राज्यसभा में कहा, “जंग किसी समस्या का हल नहीं है। डोकलाम पर चीन के साथ मिलकर मुद्दा सुलाझाने की कोशिश कर रहे हैं, हमारी बाइलेटरल रिश्तों पर भी चीन के साथ बातचीत चल रही है। अक्लमंदी यही है कि विवाद का हल डिप्लोमैसी के जरिए निकाला जाए।”
चीन की भारत को कब-कब धमकी?
1) 10 जुलाई:चाइना डेली में आर्टिकल के जरिए। कहा गया- भारत डोकलाम से फौरन सेना हटाए।
2) 24 जुलाई:चीन की फॉरेन मिनिस्ट्री ने कहा- बातचीत की सिर्फ एक शर्त है कि भारत बिना किसी शर्त के डोलाम से अपने सैनिक हटाए।
3) 25 जुलाई:चीन के फॉरेन मिनिस्टर वांग यी ने कहा- डोकलाम का हल सिंपल है। भारत वहां से अपने सैनिक हटा ले।
4) 02 अगस्त: चीन ने 15 पेज का बयान जारी कर कहा- भारत ने घुसपैठ की है। ये भूटान-चीन का मसला है। भारत वहां से ट्रूप्स हटाए।
5) 03 अगस्त: भारत देर ना करे। ये समझा जाना चाहिए कि चीन के पास दुश्मन को हटाने की पूरी काबिलियत मौजूद है।
6) 05 अगस्त:चीन के एक एक्सपर्ट ने कहा- भारतीय सैनिकों को हटाने के लिए 2 हफ्तों में छोटा सैन्य ऑपरेशन किया जा सकता है।
7) 07 अगस्त: पीएलए के सीनियर कर्नल ली ली ने कहा- अगर भारत जंग से बचना चाहता है तो उसे डोकलाम से फौरन अपने सैनिक वापस बुला लेना चाहिए।
2) 24 जुलाई:चीन की फॉरेन मिनिस्ट्री ने कहा- बातचीत की सिर्फ एक शर्त है कि भारत बिना किसी शर्त के डोलाम से अपने सैनिक हटाए।
3) 25 जुलाई:चीन के फॉरेन मिनिस्टर वांग यी ने कहा- डोकलाम का हल सिंपल है। भारत वहां से अपने सैनिक हटा ले।
4) 02 अगस्त: चीन ने 15 पेज का बयान जारी कर कहा- भारत ने घुसपैठ की है। ये भूटान-चीन का मसला है। भारत वहां से ट्रूप्स हटाए।
5) 03 अगस्त: भारत देर ना करे। ये समझा जाना चाहिए कि चीन के पास दुश्मन को हटाने की पूरी काबिलियत मौजूद है।
6) 05 अगस्त:चीन के एक एक्सपर्ट ने कहा- भारतीय सैनिकों को हटाने के लिए 2 हफ्तों में छोटा सैन्य ऑपरेशन किया जा सकता है।
7) 07 अगस्त: पीएलए के सीनियर कर्नल ली ली ने कहा- अगर भारत जंग से बचना चाहता है तो उसे डोकलाम से फौरन अपने सैनिक वापस बुला लेना चाहिए।
8) 08 अगस्त: चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने मंगलवार को अपने एडीटोरियल में कहा था, “भारत 1962 की जंग का सबक भूल गया है, नेहरू ने हमें कमतर आंका था, मोदी भी हमारी वॉर्निंग को नजरअंदाज ना करें। अगर भारत डोकलाम विवाद पर चेतावनी को इसी तरह नजरअंदाज करता रहा तो बीजिंग जरूरी जवाबी कदम उठाएगा।”
क्या है डोकलाम विवाद?
– ये विवाद 16 जून को तब शुरू हुआ था, जब इंडियन ट्रूप्स ने डोकलाम एरिया में चीन के सैनिकों को सड़क बनाने से रोक दिया था। हालांकि चीन का कहना है कि वह अपने इलाके में सड़क बना रहा है।
– इस एरिया का भारत में नाम डोका ला है जबकि भूटान में इसे डोकलाम कहा जाता है। चीन दावा करता है कि ये उसके डोंगलांग रीजन का हिस्सा है। भारत-चीन का जम्मू-कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक 3488 km लंबा बॉर्डर है। इसका 220 km हिस्सा सिक्किम में आता है।
– इस एरिया का भारत में नाम डोका ला है जबकि भूटान में इसे डोकलाम कहा जाता है। चीन दावा करता है कि ये उसके डोंगलांग रीजन का हिस्सा है। भारत-चीन का जम्मू-कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक 3488 km लंबा बॉर्डर है। इसका 220 km हिस्सा सिक्किम में आता है।
भारत की क्या है चिंता?
– नई दिल्ली ने चीन से कहा है कि चीन के सड़क बनाने से इलाके की मौजूदा स्थिति में अहम बदलाव आएगा, भारत की सिक्युरिटी के लिए ये गंभीर चिंता का विषय है। रोड लिंक से चीन को भारत पर एक बड़ी मिलिट्री एडवान्टेज हासिल होगी। इससे नॉर्थइस्टर्न स्टेट्स को भारत से जोड़ने वाला कॉरिडोर चीन की जद में आ जाएगा।
– नई दिल्ली ने चीन से कहा है कि चीन के सड़क बनाने से इलाके की मौजूदा स्थिति में अहम बदलाव आएगा, भारत की सिक्युरिटी के लिए ये गंभीर चिंता का विषय है। रोड लिंक से चीन को भारत पर एक बड़ी मिलिट्री एडवान्टेज हासिल होगी। इससे नॉर्थइस्टर्न स्टेट्स को भारत से जोड़ने वाला कॉरिडोर चीन की जद में आ जाएगा।