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VIP Bodhi Tree in MP: एक पेड़ की इतनी सुरक्षा आपने देखी नहीं होगी, देख लीजिए

VIP Tree in MP: एक पेड़ की इतनी सुरक्षा आपने देखी नहीं होगी

VIP Bodhi Tree in Madhya Pradesh: एक पेड़ की इतनी सुरक्षा आपने देखी नहीं होगी। इसकी सुरक्षा में 7 लाख रुपये महीना खर्च होते हैं। यह कोई काल्पनिक कहानी नहीं हकीकत है।

मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के सांची में स्थित सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन यूनिवर्सिटी (Sanchi University of Buddhist-Indic Studies) कई मायनों में खास है. यह यूनिवर्सिटी करीब 100 एकड़ की पहाड़ी में फैली है. विश्वविद्यालय परिसर में ही आध्यात्मिक उद्यान, नवग्रह गार्डन (Navgrah Garden sanchi) एवं राशि गार्डन भी विकसित किए गए हैं. इसी यूनिवर्सिटी में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल और विदिशा के बीच सलामतपुर की पहाड़ी (Salamatpur Hills) पर लोहे की लगभग 15 फीट ऊंची जाली के अंदर देश का सबसे वीवीआईपी पेड़ ‘बोधि वृक्ष’ (VVIP Tree in India) लगा हुआ है. बोधि वृक्ष (Bodhi Tree) की सुरक्षा में 24 घंटे चार गार्ड तैनात रहते हैं. हालांकि यहां पर तैनात गार्ड मौसम की विषम परिस्थिति, जलसंकट और विषैले जंतुलों के बीच इस पेड़ की सुरक्षा करते हैं.

वीवीआईपी पेड़ ‘बोधि वृक्ष’ (Bodhi Tree Sanchi) तक पहुंचने के लिए भोपाल-विदिशा हाईवे से पहाड़ी तक पक्की सड़क भी बनाई गई है. पूरी पहाड़ी को बौद्ध विश्वविद्यालय के लिए आवंटित किया गया है. पेड़ इतना अहम है कि हर 15 दिन में इसका मेडिकल चेकअप होता है. इस यूनिवर्सिटी के अकादमिक परिसर में तकरीबन 60 से अधिक किस्में के फूल लगे हैं. फूलों के अलावा यूनिवर्सिटी में औषधीय गार्डन भी डेवलप किया गया है.

वीवीआईपी पेड़ ‘बोधि वृक्ष’ (Bodhi Tree Sanchi) तक पहुंचने के लिए भोपाल-विदिशा हाईवे से पहाड़ी तक पक्की सड़क भी बनाई गई है. पूरी पहाड़ी को बौद्ध विश्वविद्यालय के लिए आवंटित किया गया है. पेड़ इतना अहम है कि हर 15 दिन में इसका मेडिकल चेकअप होता है. इस यूनिवर्सिटी के अकादमिक परिसर में तकरीबन 60 से अधिक किस्में के फूल लगे हैं. फूलों के अलावा यूनिवर्सिटी में औषधीय गार्डन भी डेवलप किया गया है.

वृक्ष को 21 सितंबर, 2012 को श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंद्रा राजपक्षे ((Mahinda Rajapaksa)) और भूटान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जिग्मी योजर थिंगले ने रोपा था. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए थे. माना जाता है कि ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में सम्राट अशोक (Emperor Ashoka) ने अपने बेटे महेंद्र और बेटी संघमित्रा को बोधि वृक्ष की एक टहनी देकर बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए श्रीलंका भेजा था. उन्होंने वह बोधि वृक्ष श्रीलंका के अनुराधापुरम (Anuradhapuram) में लगाया था, जो आज भी मौजूद है.  उसी पेेेड़ को सांची बौद्ध विश्वविद्यालय की जमीन पर लगाया गया है.

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