षड्यंत्र कर करोड़ों के घोटाले के आरोपियों को क्या मिलेगी ज़मानत? अब न्यायपालिका पर टिकीं सबकी निगाह, जानिए पूरा मामला

कटनी। तो क्या मिल पाएगी करोड़ों की हेराफेरी व फर्जी तरीके से डायरेक्टर बनने वाले षडयंत्र कारियों को जमानत..?? यह प्रश्न लोगों के मन मे उठना स्वाभाविक है।

कटनी के इतिहास में बड़ा “व्हाइट कालर क्राइम”

आपको बता दें कि कटनी की पुलिस कार्रवाई के इतिहास में पिछले दिनों “व्हाइट कालर क्राइम” का एक ऐसा मामला सामने आया था जिसने कटनी पुलिस को भी हैरान कर दिया था। इस पूरे षडयंत्र को जिसने भी सुना वह आवाक रह गया। यह सोचने पर विवश था कि क्या ऐसी भी अमानत में ख्यानत हो सकती है जिसमे फर्जी तरीके से कम्पनी का मालिक बन कर असली मालिक को ही दरकिनार किया जा सकता है।

अब षडयंत्रकारियों ने जमानत के लिए प्रयास शुरू किए

जी हां मामला ऐसा ही है औऱ अब इन तथाकथित षडयंत्रकारियों ने अपनी जमानत के लिए प्रयास भी शुरू किए हैं तब स्वाभाविक तौर पर सभी की निगाह न्यायपालिका की ओर हैं। सवाल दर सवाल उठ रहे हैं कि करोड़ों के इस बड़े फ्राड में न्यायपालिका से आरोपियों को राहत मिलेगी? या फिर राहत की जुगत लगाने वालों की रसूखदारी और धनबल की धमक न्याय के मंदिर में चारों खाने चित्त हो जाएगी?

यह है मामला

इस चर्चित मामले के मुताबिक कुछ दिनों पहले एक एफआईआर दर्ज हुई जिसमें कटनी निवासी दो प्रतिष्ठित व्यवसायी ने आरोप लगाया था कि यह एक विख्यात कंपनी में डायरेक्टर के पद पर कई वर्षों से पदस्थ थे उन्हें उनके ही साथी जयचन्दी डायरेक्टरों द्वारा पीठ में खंजर घोंपने की कहावत को चरितार्थ करते फर्जी दस्तखत कर असली डायरेक्टर को ही डायरेक्टरशिप से अलग कर दिया गया।

तब लगा पता जब जबलपुर कलेक्टर कोर्ट पहुंचे डायरेक्टर

कटनी के इन व्यवसायीयों को अपने डायरेक्टरशिप जाने की खबर भी तब मिली जब पिछले महीने वो जबलपुर कलेक्टर कोर्ट मे उपस्थित हुये जहाँ उन्हें बताया गया कि उन्होंने तो पिछले वर्ष ही कंपनी से इस्तीफा दे दिया है। साथियों के इस कृत्य पर हैरान कटनी लौटने पर इन व्यवसायीयों अपने साथ हुए इस फर्जीवाड़े की रिपोर्ट कोतवाली थाना कटनी व माधव नगर थाने मे कराई।

डायरेक्टरशिप ही नही वरन करोड़ों के खेल की है चर्चा

जैसे ही उपरोक्त थानों की पुलिस द्वारा मामले की विवेचना प्रारंभ की गई तो फर्जी दस्तखत से इस खेल की बात सामने आई पर यह सूत्रों की मानें तो यह भी इस मामले की बानगी भर है दरअसल यह खेल बहुत बड़ा है। डिजिटल के नाम से फर्जी हस्ताक्षर कर के डायरेक्टर को निकालने की असली मंशा करोड़ों के कारोबार पर कब्जा करना है। सूत्र यह भी दावा करते हैं कि पुलिस जांच में पता लगा है कि आज तक आरोपियों द्वारा 400 से 500 करोड़ का घोटाला किया जा चुका है और पुलिस का शिकंजा कसते ही आरोपियों द्वारा कटनी न्यायालय में अग्रिम जमानत का आवेदन लगा दिया गया।

क्या मिल पाएगी राहत??

अब देखना यह है कि क्या 400 से 500 करोड़ के इस चर्चित मामले में माननीय न्यायालय से आरोपियों को जमानत का लाभ मिल पायेगा या फिर उनकी जमानत की जुगत माननीय न्यायालय से निरस्ती के साथ फिर एक नजीर बनेगी तथा पुलिस को मामले की तह तक जाने जैसे आदेश से इस बड़े फर्जीवाड़े में न्यायपालिका कड़ा रुख प्रस्तुत करेगी। सभी की निगाह आरोपियों के जमानत आवेदन पर कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं।

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