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YouTube Student Stunt: परीक्षा में फेल हुआ तो यूट्यूब पर मढ़ा दोष, बोलता है कि यह अश्लील विज्ञापन देखकर ध्यान भटक गया

YouTube Student Stunt: परीक्षा में फेल हुआ तो यूट्यूब पर मढ़ा दोष, मांग रहा मुआवजा

YouTube Student Stunt: परीक्षा में फेल हुआ तो यूट्यूब पर मढ़ा दोष युवक ने याचिका में आरोप लगाया था कि YouTube पर अश्लील विज्ञापन आते हैं, जिस कारण उन्हें देखकर उसका ध्यान भटक गया और इसकी वजह से वह पढ़ाई में ध्यान नहीं दे सका।

सुप्रीम कोर्ट में आज एक अजीबोगरीब याचिका पर सुनवाई हुई जिसमें एक Student  परीक्षा में फेल होने के लिए YouTube को दोषी ठहरा दिया और कंपनी से 75 लाख रुपये के मुआवजा की मांग कर दी। जज ने जैसे ही याचिका देखी वैसे ही उन्होंने इसे खारिज कर दी और कहा कि यह याचिका केवल समय बर्बाद करने के उद्देश्य से लगाई गई है। इतना ही नहीं जजों ने इस याचिका को अत्याचारी तक करार दिया और शख्स पर 25 हजार रुपये का जुर्माना ठोक दिया।

युवक के तर्क से भड़के जज और लगा दी फटकार

युवक ने याचिका में आरोप लगाया था कि YouTube पर अश्लील विज्ञापन आते हैं, जिस कारण उन्हें देखकर उसका ध्यान भटक गया और इसकी वजह से वह पढ़ाई में ध्यान नहीं दे सका। इसकी वजह से परीक्षा में वह फेल कर गया। युवक का तर्क सुनते ही जज भड़क गए और कहा कि आप हर्जाना चाहते हैं क्योंकि आपने इंटरनेट पर विज्ञापन देखे और आप कहते हैं कि इसके कारण आपका ध्यान भटक गया और आप परीक्षा पास नहीं कर सके? पीठ ने कहा कि यह (संविधान के) अनुच्छेद 32 के तहत दायर की गई सबसे अत्याचारी याचिकाओं में से एक है। इस तरह की याचिकाएं न्यायिक समय की बर्बादी हैं।

अगर आपको कोई विज्ञापन पसंद नहीं है, तो उसे न देखें: पीठ

पीठ ने पाया कि याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि वह एक परीक्षा की तैयारी कर रहा था और YouTube की सदस्यता ली, जहां उसने कथित यौन सामग्री वाले विज्ञापन देखे। पीठ ने कहा कि अगर आपको कोई विज्ञापन पसंद नहीं है, तो उसे न देखें। पीठ ने कहा वह विज्ञापनों को क्यों देखना पसंद करते हैं, यह उनका विशेषाधिकार है। शुरुआत में खंडपीठ ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया। बाद में, हिंदी में बहस करने वाले याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से उसे माफ करने और लगाए गए जुर्माने को हटाने का आग्रह किया। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि वह बेरोजगार है। पीठ ने कहा कि वह सिर्फ प्रचार के लिए अदालत में आकर ऐसी याचिका दायर नहीं कर सकते। पीठ ने लागत को एक लाख रुपये से घटाते हुए कहा, इसे 25,000 रुपये कर दो।

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